Thursday, April 07, 2011

इंतज़ार ख़तम होने को है


चाहे जहां तू चले .. चाहे जिधर तू थमे
रहूँ मै तेरे लिए, हर घडी, हर जगेह..

ख्वाबों को तेरे, करदूं हसीन
भर दू तेरे दिल में हसी

ख्वाहिशों को तेरी कर दूं पूरा
न छोडूं तेरी किसी चाह को अधूरा

ऐसे तुझे समेट लूं अपनी ओढ़ में
जैसे नमी छुपी ओस कि बूंद में 

थामी है मैंने बाहें तेरी 
पाऊँगा प्यार वाली मंजिल तेरी 

है कसम मेरी जान-ऐ-हसीन 
चलता जाऊंगा चाहे जले ज़मीन

इंतज़ार मेरा कुछ पल कर लेना तू 
पूरी होने को हमारी हर आरज़ू .... 

खोना नहीं मुझपे यकीन .. 
मै दूर सही जुदा नहीं 

ऐ वफ़ा, मै दीवाना तेरा 
तुझ बिन नहीं कोई आशियाना मेरा 

ऐ वफ़ा ये वादा है मेरा
फूलों से भरा होगा आनेवाला कल तेरा

पर ये कल ना मेरा न तेरा,
बस है सपनो का ही सहारा

2 comments:

  1. kuch kuch samaj mein aa raha hain ! but not totally:) Its feels gud to read it anywaz!

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  2. wah .kya baat ha!!..so romantic !!!

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